तेरी खुशबू बसी है मेरी नस नस मे ,
जैसे अब कुछ नही रहा मेरे बस मे
तुम मिले तो लगा की जैसे सब कुछ पा लिया ,
कुछ न रहा हमारा इस कशमकश मे
वो तेरे कुचे से रातों को गुजरना ,
याद है मुजे वो प्यार मे झगड़ना
वही पल आज कल मुजे तड़पाते हैं ,
रह रह कर तेरी याद दिलाते हैं
तेरे जाने के गम से उभरे नही अब तलक ,
तू ही है मेरी , ज़मीन देखू या फलक ..
तबस्सुम थी हमारी चेहरे पे बे-सबब ,
जाने अब तो जैसे कोहराम सा छाया है
बखत थी तू हमारे जीवन मे ,
तिशनगी बुलंद थी तुझे पाने की
तेरा साया है अब मेरी जिंदगी के उजाले पे ,
आशुफ्तः हूँ मैं अब तेरे वीराने में
गुजारिश यही है खुदा से हमारी ,
नाखुशी न आए कभी तेरे रुख पे
कारवां ये मोहब्बत है कई जन्मों का ,
ये जन्म तो फक्त इम्तिहान में गुजर जाएगा ..............
सौरभ गिरधर
Hello World - Reboot!
10 years ago
2 comments:
saurabh is a java script language programmer.
bahut khoob dost...
afasosh na kar soz par..
ek huzoom hai chala hi jaayega..
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