Figaar ho gaye hai tere viraane me
Ye intezaar ke lamhe bitaaye kaise
rehte ho yun to har pal meri saanso me
but fasle hai jo darmiyaan mitaaye kaise
tumne sath chalne ki kasam khayi thi
Is safar me akele chala jaye kaise
zamaana beet gaya muskuraye huye
tujh tak ye payaam pahuchayein kaise
din to gujar jaate hai is bheedbhad me
ye tanha raate hum bitaein kaise.
daag hote daaman me to dhul bhi jaate
ye ujala tere ishq ka girdhar chupaye kaise
Tumhe kehte hai to haste ho tum
Kitni mohabbat hai tumse ye jataye kaise
Tumhe ye ehsaas dilaye kaise
Kitni mohabbat hai tumse ye jataye kaise
Wednesday, June 25, 2008
Tumhe ehsaas dilaye kaise
Monday, June 9, 2008
hum karenge Intezaar
सजाया था हमने भी आंखों में एक सपना ,
मिला था गैरों की भीड़ हमें कोई अपना |
गुफ्तगू थी दो दिलों के दरमियान,
सोचा प्यारा सा होगा ये सफर अपना |
इब्तिदा थी ये हमारी मोहब्बत की ,
बनाना चाहा था हमने भी एक आशियाना |
आबाद समझा हमने जिसे देख के ,
बे -तासीर कर चले हैं हमें तनहा छोड़ के |
यूं ही दिल में दबे रह गए हमारे सब अरमान ,
तुम चले जब दूर ले कर अपना सामान |
मेरी जान तुम होगी हैरान ये जान के ,
खुश थे हम तुम्हे भी अपना मान के |
पैगाम आया की तुम चले कहीं हमें छोड़ के ,
तालुकात हमारे दिल से सारे तोड़ के |
अब यूं जो चले जा रहे हो हमसे दूर ,
हमारी थी कोई खाता या तुम्हे है कोई गरूर |
लताफत न होगी अब ये जिंदगी तुम्हारे बिना ,
तुम्हे ही चाहेंगे , रहेंगे सदा तेरे आशना |
जानते है हम तुम भी यूं न रह पाओगी ,
हर आईने में गिरधर की ही सूरत पाओगी |
जब एहसास होगा तुम्हे हमारी मोहब्बत का ,
छोड़ के सब मेरे पास भागी आओगी ......
इंतज़ार में
सौरभ गिरधर